भारत में DTH services के लिए नए अवसर और चुनौतियाँ

 


DTH services भारत के लिए एक क्रांति के रुप में आया, जिसने पूरे भारत की सैटलाइट और टीवी देखने का नज़रिया बदल दिया । आज DTH service industry एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री के रूप में स्थापित हो गई है । आज लगभग हर दूसरे घर में DTH cable service मौजूद है । इसकी शुरूआत साल 2003 में हुई जब Zee group ने भारत में अपना पहला DTH provider पेश किया, इसे आज पूरी दुनिया में Dish tv के नाम से जाना जाता है । भारत में अपने लॉन्च के साथ ही ये साल 2006 तक आते-आते भारत का सबसे पसंदीदा DTH बन गया । फिर कुछ और कंपनियोंं ने अपनी-अपनी तर्ज पर tata sky, reliance big tv और airtel digital tv जैसे दूसरे dth provider लॉन्च कर दिए और साल 2007-08 तक भारत में DTH service providers के बीच एक कंपिटिशन हो गया और आज स्थिति ऐसी है कि इनके बीच ये कंपिटिशन लगातार बना हुआ है । ऐसे में हर कंपनी ग्राहक की पूरी सुविधा और उसकी सर्विस का ध्यान रखती है । आज जहाँ हर ग्राहक अपने नज़दीक dth services near me ढूंढता है वहीं कंपनियां भी अपने नज़दीक ही nearby dth services सभी लोगों को अपना ग्राहक बनाना चाहती हैं । लेकिन इसमें ग्राहक के लिए समस्या ये हो जाती है कि सर्विस के नाम पर dth service technician काफी पैसे चार्ज कर लेता है । लेकिन अब नहीं, क्योंकि NumberDekho ऐप आ गया है जो dth service मार्केट में सबसे सस्ते रेट में प्रदान करते हैं ।

इसके अलावा, पब्लिक बॉडकास्टर FTA DTH DD freedish जिसे पहले डीडी डायरेक्ट+ के नाम से जाना जाता था, वह ये सर्विस प्रदान करता है। TRAI की मानें तो, साल 2020 तक DTH क्षेत्र के लगभग 70.58 मिलियन ग्राहक थे । अभी की स्थिति ये है कि पूरे विश्व में भारत में सबसे बेहतर DTH services और उनका ग्राहक है :


DTH PROVIDERS                  CUSTOMERS BASE

  • डिश टीवी                           30 प्रतिशत

  • टाटा स्काई                          22 प्रतिशत

  • सन डायरेक्ट                       25 प्रतिशत

  • एयरटेल                              8 प्रतिशत

  • बिग टीवी                            13 प्रतिशत


बीते साल में, भारत में लगभग सभी डायरेक्ट-टू-होम (DTH) ऑपरेटर ने इकोसिस्टम ट्रांसफॉरमेशन को मान लिया है। OTT कंपनियों ने जो चुनौती दी थी, उसके लिए इंडस्ट्री ने अपनी सर्विस पर ज़रूरी रूप से फिर विचार करना शुरू किया है । अगर हम इसे एक उदाहरण से समझें तो, बीते साल में बहुत सारे DTH providers ने ग्राहकों को अपने साथ जोड़े रखने के लिए full package के साथ अलग-अलग OTT platform की सेवाएं भी दी ।


भारत में DTH Services का विकास और बढ़त


भारत अपनी बढ़ती जनसंख्या और 1 अरब से ज़्यादा यूज़र वाली इकोनॉमी के साथ, पिछले कुछ सालों में satellite tv provider के तौर पर मील का पत्थर बनकर उभरा है । DAS से पहले, DTH बिजनेस के पास एक फायदेमंद डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी बनाने का बड़ा मौका था क्योंकि केबल टीवी ने DTH के साथ कोई कंपिटिशन नहीं किया था । एक्टिव यूज़र की गिनती में केवल वे लोग शामिल हैं जो 90 दिनों से ज़्यादा वक्त से कभी भी अनएक्टिव नहीं हुए ।


मौके के मिलने के बावजूद, DTH बड़े डिस्ट्रीब्यूशन ऑप्शन के रूप में केबल टीवी से आगे नहीं निकल पाया और इसकी वजह है DAS के साथ-साथ HITS का स्थापित होना । इसने केबल टीवी को बहुत सस्ता बना दिया और इसे मार्केट में अपनी सबसे ज़रूरी पोजिशन बनाए रखने की अनुमति दी । इसी समय के दौरान DD Freedish ने भी लोगों के बीच बहुत नाम बनाया और low ARPU वाले क्षेत्रों में भी इसे बहुत तेजी से अपनाया है ।


इसी समय के दौरान, देश में मान्यता प्राप्त सैटेलाइट टीवी चैनलों की संख्या में बहुत तेजी से बढ़ोतरी हुई । बीते 10 सालों में ये समाचार और गैर-समाचार दोनों ही कैटगरी में 50 प्रतिशत से ज़्यादा की तेजी से बढ़ा है । इनमें से ज़्यादातर फ्री-टू-एयर चैनल हैं । इसके अलावा भारत में DTH क्षेत्र के विकास के कुछ ज़रूरी कारण यहां हम बता रहे हैं -


सैटलाइट क्षमता की मांग बढ़ गई


KU Transmitters भारत में DTH Service in Sector 12, Noida के लिए एक ज़रूरी प्वाइंट हैं। रजिस्टर्ड सैटलाइट टीवी चैनल की संख्या में जैसे-जैसे बढ़ोतरी हुई, वैसे-वैसे ज़्यादा सैटलाइट क्षमता की मांग बढ़ने लगी । आज डिस्ट्रीब्यूशन क्षमता के साथ, कोई भी ऑपरेटर अपने अलग DTH network पर हर तरह के रजिस्टर्ड टीवी चैनल का प्रसारण करने की ज़रूरत पूरी नहीं कर सकता । 


सबका मिलकर एक हो जाना


साल 2016 और 2017 में पार्टनरशिप की लहर आई । ज्यादा कंपीटिशन, नए जमाने के डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का दवाब और नियमों के सख्त माहौल के साथ, DTH ऑपरेटर के होने और न होने पर एक प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है । पार्टनरशिप की तरफ सबसे पहला कदम videocon D2H और dish tv ने बढ़ाया, ये दोनों एक हो गए जिसका नतीजा ये हुआ कि ये कंपनी देश की सबसे बड़ी DTH कंपनी बन गई । अब इसका कुल DTH एक्टिव यूज़र 45 प्रतिशत हो गया । इससे पहले dish tv के साथ Airtel ने हाथ मिलाया था लेकिन किन्हीं कारणों की वजह से ये डील नहीं हो पायी । 


अब ये देखना है कि ये दोनों सर्विस प्रोवाइडर आने वाले सालों में खुद को कैसे विकसित करते हैं । टॉप पोजिशन पर बैठे ऑपरेटर के बीच का फर्क बहुत कम होता है और टॉप पोजिशन के लिए वो लगभग बराबर होते हैं। आने वाले वक्त में अब ये देखना भी दिलचस्प होगा कि ये दोनों ही अपने आपको मार्केट में कितनी मज़बूत पोजिशन देते हैं । 


भारत में DTH services की चुनौतियां


ऊपर बताए गए DTH के विकास के बाद भी, DTH industry के सामने बहुत समस्याएं हैं, जिसमें केबल टीवी का खतरा और बैंडविड्थ का लगातार इस्तेमाल शामिल है, जो ग्राहक का ध्यान इंटरनेट टीवी की ओर लगातार ले जा रहा है । DTH provider के लिए मार्केट में बने रहने का एक ही तरीका है - नए डेटा और इंटरनेट के इस दौर में खुद को फिट करना ।


इंटरनेट के इस्तेमाल में बढ़ोतरी


बीते 5 सालों में इंटरनेट डेटा का इस्तेमाल 25 गुना ज़्यादा बढ़ा है । यूज़र ज़्यादा कंटेंट ऑनलाइन देख रहे हैं क्योंकि टेलीकॉम प्रोवाइडर के डेटा रेट कम हो गए हैं और ब्रॉडबैंड की मौजूदगी बढ़ गई है । साल 2016 में यूज़र द्वारा ऑनलाइन फिल्में देखने पर 49 प्रतिशत डेटा की खपत हुई है । साल 2023 आते-आते ये प्रतिशत बढ़कर 80 हो गया । इन सभी प्लेटफार्म पर कीमतें या तो DTH और cable operator की तुलना में कम है या फिर बराबर हैं । ये सब हालात DTH providers को बेहतर प्रोग्रामिंग, कम रेट और ज़्यादा चैनल देने की ओर प्रेरित कर रहा है । 


बाज़ार के हिसाब से सेट नहीं हो पाना


जब इंटरनेट कंटेंट की बात आती है तो ये ग्राहक के लिए हर वक्त मौजूद है । देश में ज़्यादातर लोग अपने पसंदीदा कंटेंट को ऑनलाइन ही देख रहे हैं और उनकी ये आदत आने वाले समय में भी यूं ही जारी रहने की उम्मीद है ।


यूज़र या ग्राहक की ये आदत dish tv और Airtel जैसे DTH providers के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है । DTH providers को digitization process में मदद करने के लिए न केवल नकद रूपए देने होंगे, बल्कि उन्हें इंटरनेट टीवी से भी कंपिटिशन करना पडे़गा और क्योकि अभी तक भारत में ज़्यादातर घरों में पूरी तरह इंटरनेट टीवी नहीं आया है, DTH providers ने मार्केट पर अपनी टिप्पणी की है और अब वो ग्राहकों को इंटरनेट टीवी भी दे रहे हैं ।


फीस ज़्यादा और डिजिटाइजेशन की कमी


Licence fees और Tax, ये दो वो रूकावटें हैं जो DTH business को बढ़ने से रोक रही हैं । ये, सस्ते रेट के साथ, डीटीएच बिजनेस की low ARPU (average revenue per user) सबसे ज़रूरी वजहों में से एक है । अगर इसे एक उदाहरण से समझें तो, Bharti Airtel ने जून के तीसरे हफ्ते में ARPU में हर साल 2.1 प्रतिशत की गिरावट के साथ 228 तक पहुंचने की सूचना दी है ।


देश के केबल टेलीविजन का डिजिटाइजेशन अभी तक पूरा नहीं हो पाया है क्योंकि ज़्यादातर लोग जो गांव के इलाकों में रहते हैं, वो केबल टीवी ही देखना पसंद करते हैं, वो DTH service लगाने में असमर्थ हैं, नतीजा ये कि इसका DTH companies पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है ।


इधर DD ने ग्राहकों को Free dish service दे दी है जिससे DTH industry के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती आकर खड़ी हो गयी है । अब आने वाले समय में जैसे-जैसे कंपिटिशन बढ़ेगा, DTH providers अपने रेट में भारी कटौती या कमी करने को मजबूर हो सकते हैं । ऐसा करने से उनके बिजनेस पर दवाब बढ़ेगा ।

Comments

Popular posts from this blog

गैस का चूल्हा धीमा जलने लगे तो क्या करें? Gas Flame को तेज करने का आसान तरीका

What are the Roles of a Gym Trainer in Injury Prevention and Safety?